सबसे पहले भारत में कागज के नोटों की कैसे शुरुआत हुई और उस समय रुपया कैसा होता था।

भारत में ऐसे शुरू हुए थे कागज के रुपए, बैंकों में मिलते थे सिक्कों के बदले हम लोग कागज के रुपए रोज उपयोग करते हैं,लेकिन हमें शायद ही यह पता हो कि सबसे पहले भारत में कागज के नोटों की कैसे शुरुआत हुई और उस समय रुपया कैसा होता था।रुपए की शुरुआत की कहानी अपने आपने में बेहद रोचक है। बैंक नोट से शुरू हुई थी कागजी इंडियन करेंसी. यह एक बैंक नोट,एक वचनपत्र था,जो कीमती धातु के सिक्के के बदले देय थे। सिक्के के एवज में एक बैंक द्वारा बैंक नोट शुरू किया गया। बैंक नोट एक शानदार तरीका था,इससे वजनी सिक्के की जगह बैंक नोटों से लेनदेन में आसानी होने लगी। लोग बैंकों से सिक्कों के बदले कागज के नोट लेकर लेनदेन करने लगे। बैंक अपने नोट जारी करने के लिए फ्री थी,सरकार ने उस समय कोई कानून नहीं बनाया था।

बैंक नोट एक परिवर्तनीय वचन पत्र था,जिसे बैंक जारी करता था। इसकी शुरुआत फ्री बैंकिंग के युग में हुई। बैंक 18वीं सदी से लेकर 1861 तक वचन पत्र(promissory notes)जारी करने के लिए स्वतंत्र थे। बैंकों केप्रॉमिसरी नोटों के बाद 1 अप्रैल 1935 को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना हुई। अगस्त 1940 में एक रुपए  के कागज नोट की शुरुआत हुई,जो 1994 तक कागज में चलता रहा।

स्वतंत्रता के पूर्व भारत में ये बैंक नोट जारी करती थी:-

पूर्वी भारत में बंगाल प्रेसीडेंसी में स्थित बैंक

-बैंक ऑफ हिंदोस्तान(1770-1832)

-द जनरल बैंक इन बंगाल एंड बेहार(1784-1791)

-द बंगाल बैंक(1806-1921)

-द कमर्शियल बैंक(1819-1828)

-द कलकत्ता बैंक(1824-1829)

-द यूनियन बैंक(1828-1848)

दक्षिण भारत में मद्रस प्रेसीडेंसी में स्थित बैंक

-द करनैटिक बैंक(1788-?)

-द एशियाटिक बैंक(1804-?)

-द गवर्नमेंट बैंक(1806-1843)

-द बैंक ऑफ मद्रस(1843-1921)

पश्चिम भारत में बांबे प्रेसीडेंसी के बैंक

-द बैंक ऑफ बांबे(1840-1868,1868-1921)

-दे ओरिएंटल बैंक,जिसकी शुरुआत बैंक ऑफ वेस्टर्न इंडिया नाम से हुई थी।(1842-1884)

द कमर्शियल बैंक ऑफ इंडिया(1842-1866)



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