ऐ किसान तूँ है तो जहाँ है

कर्ज में डूबा किसान यह सोचता है कि शायद फसल अच्छी आएगी तो कर्ज चुका दूंगा। बच्चों को पढ़ाने के लिए कुछ हाथ में जायेगा लेकिन यह क्या? प्राकृतिक आपदा ने सारे सपनो पर पानी फेर दिया। खेत की मेढ़ पर बैठा किसान अपने आंसू रोक नहीं पाया। सब कुछ लूटने की आशंकाओं के बीच आँखों के सामने घना अँधेरा छा गया।तभी पीछे से एक हाथ कंधे पर आता है तो दूसरे हाथ की कोमल अंगुलियां उसके आंसू पोंछने लगती है। किसान डबडबाई आँखों से देखता है तो वो कोई और नहीं उसी का बेटा ही है। कहता है "बापू हिम्मत रख थोड़े दिनों की बात है।मैंने 8-10 भर्तियों के फॉर्म भर रखे है।कल वनपाल की भर्ती की परीक्षा है। मैंने अच्छी तैयारी कर रखी है।कल मौसी आई थी उसने मुझे 100 रूपए दिए थे। किराये का इंतजाम हो जायेगा। नौकरी मिल जायेगी तो आपको इन विडंबनाओं से दूर कर दूंगा। बापू आप आंसू मत बहाइये।" बापू आप उठिए! मेरे साथ घर चलिए। कंपकंपाते शरीर को नियंत्रित करता किसान खड़ा हुआ। बच्चे की तरफ देखकर बोला"अरे रामू मैं तो यूँ ही थोडा भावुक हो गया था। तेरे जैसा बेटा हो उसको क्या चिंता है? "रामू ने हाथ पकड़कर बापू से वादा लिया कि आप मेरे से छुपकर कोई निर्णय नहीं लोगे! रामु रोज किसानो की आत्महत्या के बारे में पढता था इसलिए जब भी विपदा आती अपने बापू को दिलासा देने लग जाता।दोनों घरतकआते है और चाय पीते है। रामू ने बापू को कहा"बापूजी इस बार तो परीक्षा में मैं टॉप आऊंगा। आप चिंता मत करो।महीने भर में नौकरी ज्वाइन करके ही दिखाऊंगा। "यह कहते हुए रामू माँ की बनाई रोटी व् लाल मिर्च की चटनी लेकर बस स्टैंड की तरफ चल दिया। जैसे-तैसे परीक्षा स्थल पहुँचा। पेपर भी बहुत अच्छा हुआ। बाहर निकलते ही रामू का चेहरा खिलखिला रहा था। मन में जोश था। अब मुझे नौकरी से कोई नहीं रोक सकता है। परीक्षा देकर वापिस बस स्टैंड पहुंचा तो बसें खचाखच भरी हुई थी। ट्रेन उसके यहाँ चलती नहीं थी। जेब में सिर्फ 40 रूपए बचे थे। और कोई इंतजाम हो नहीं सकता। जैसे-तैसे बस के ऊपर चढ़ गया। गरीब किसान का बेटा इन छोटी-मोटी परेशानियों से कभी हिम्मत नहीं हारता। उधर रामू के माँ-बाप टकटकी लगाये बसस्टैंड की तरफ आने वाले मार्ग की तरफ देख रहे थे। समय भी हो चुका था।गाँव वाली बस भी जा चुकी थी। तभी मार्ग से गाडी लेकर साहूकार गया। गाडी रोकी तो किसान की आँखे अंदर घूमने लगी। रामू गाडी में तो! तभी साहूकार बोला घर चलो। किसान बोला"सेठ जी रामू नहीं आया उसका इंतजार कर रहे है।? सेठ ने कहा "उसी के बारे में बात करनी है। "किसान कुछ सोचता उससे पहले सेठ ने हाथ पकड़कर खींचते हुए घर ले आया। बोला"रामू जिस बस से परीक्षा देकर  रहा था उसका एक्सीडेंट हो गया, रामू नहीं रहा।" यह सुनते ही किसान की सदमे में मौत हो गई। माँ गुमसुम हो गई। बेटी पागलों की तरह हरकते कर रही है। सरकार ने गहरा दुःख जता दिया है। रिश्तेदार गम में शरीक होने पहुँच रहे है। जो जानते थे रामू को वो लोग बताते है बहुत ही होनहार लड़का था। जो युवा नेतागीरी के चक्कर में फंसे है वो सोशल नेटवर्क पर बहुत ही दुखी नजर आते है। बाहर तो बहुत ठण्ड है ! रजाइयों में सबकुछ निपट रहा है।

किसान तेरे अंदर जो ईमान है उनकी कोई कदर नहीं है।
किसान जो तू मेहनत करता है उसकी कीमत इस जमाने के पास नहीं है।
किसान जो सपने तूँ बुनता है उससे बड़ा साहित्य इस दुनिया में नहीं है।
किसान फिर भी तू डटा रह, क्योंकि तेरी कुर्बानी पर दुनिया का वजूद टिका है।
किसान तूँ है तो जहाँ है बस तूँ ही यहाँ है तूँ ही वहां है...
https://sunilmoga.blogspot.com/
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