गोल्डन गर्ल हिमादास...

  क्रिकेट के एलीट खेल के शोरगुल में देश की बेटी,माटी की बेटी की सफलता खो गई!भटके हुए मीडिया,खालिस बुद्धिजीवी व नैतिकता विहीन उन्मादी युवाओं की सोच में से भारत निकलकर जमींदोज हो गया है और पूरा शोर-शराबा इंडिया पर आ टिका है।

हिमा दास का जन्म 9 जनवरी 2000 को असम राज्य के नागाव जिले के ढिंग में हुआ था। हिमा के पिता रोंजित दास किसानी करते हैं, जबकि माताजी जोमाली दास गृहिणी हैं। कुल 16 सदस्यों के घर में आर्थिक हालात शुरू से ही खराब रहे। बस किसी तरह खाने-पीने की व्यवस्था हो जाती है। परिवार में हिमा और उनके माता-पिता के अलावा 5 भाई और बहन हैं। हिमा ने अपनी शुरुआती पढाई गांव से ही की। खेलों में रुचि होने और पैसों की तंगी के चलते हिमा अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख सकीं।

2017 में हिमा गुवाहाटी में एक कैम्प में हिस्सा लेने आई थीं तब उनकी मुलाकात एक एथलेटिक्स के कोच से हुई।गरीब हालात व प्रतिभा को देखते हुए कोच ने उनकी मदद की।बेहतर कोचिंग के लिए गुवाहाटी भेजने के लिए हिमा के माता-पिता सक्षम नहीं थे, ऐसे में वहां हिमा के रहने खाने का खर्चा कोच ने उठाया।

धान के खेतों में दौड़ लगाते-लगाते व लड़कों के साथ फुटबाल खेलते-खेलते एक साल पहले रेसिंग ट्रैक पर आई हिमादास ने फिनलैंड के टेम्पेयर शहर में भारत के लिए उस समय इतिहास रच दिया जब वो आईएएएफ विश्व अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 400 मीटर स्प्रिंट स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता।

हिमा ने दो जुलाई को साल की अपनी पहली प्रतिस्पर्धा 200 मीटर रेस में 23.65 सेकेंड का समय निकालर सोना जीता था। यह रेस पोलैंड में पोजनान एथलेटिक्स ग्रांड प्रिक्स के तहत हुई थी।

इसके बाद, विश्व जूनियर चैंपियन और 400 मीटर में राष्ट्रीय रिकॉर्डधारक हिमा ने जुलाई आठ को पोलैंड में हुए कुंटो एथलेटिक्स टूर्नामेंट में 200 मीटर की रेस में 23.97 सेकेंड के साथ स्वर्ण पदक अपने नाम किया।

हिमा ने यहां क्लांदो मेमोरियल एथलेटिक्स प्रतियोगिता में महिलाओं की 200 मीटर स्पर्धा का स्वर्ण पदक अपने नाम किया। भारतीय धावक ने शनिवार को हुई इस रेस को 23.43 सेकेंड में पूरा किया और पहले पायदान पर रही।11दिन में अन्तराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में तीन स्वर्णपदक भारत के लिए जीते मगर इंडिया के लोगों ने फर्जी बखेड़ों में भारत की बेटी की सफलता को दबा दिया।

काश भारत की मीडिया,भारत के बुद्धिजीवी,भारत की सोचने वाले युवा होते तो हिमादास की सफलता को इस तरह पेश करते कि भविष्य में खेत-खलिहानों से सेंकडों बेटियां अंतरराष्ट्रीय पटल पर जलवा दिखाने को तैयार हो जाती!

सलाम भारत की बेटी,गोल्डन गर्ल हिमादास और इनकी मदद करने वाले कोच नोतन को👏👏👏

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