हम हर जगह-हर मंच पर लूटतंत्र के खिलाफ बोलेंगे।

लो जी अगर पाखंड व अन्धविश्वास के खिलाफ भी किसी ने बोला तो सीधा देशद्रोह का मुकदमा! अब इनको कौन समझाए कि सुप्रीम कोर्ट का ताजा निर्देश है कि जब तक किसी भाषण-नारों आदि से हिंसा न हो तब  तक देशद्रोह का आरोप नहीं लगाया जा सकता? अगर मैं कहूँ की दुर्गा मेरी माँ नहीं है व् मेरी माँ मेरे घर में बैठी है तो इसमें आपत्तिजनक क्या है? मैं मेरी माँ को ही माँ कहूंगा किसी और की माँ को माँ कैसे कह दूं? उसी प्रकार जब मैं कहूँ  कि सर छोटूराम, भगत सिंह, वीर तेजाजी, महाराजा सूरजमल, चौधरी देवीलाल, चौधरी चरणसिंह मेरे पूर्वज है। गांधी-नेहरू आदि पंडितों को मैं अपना पूर्वज नहीं मानूंगा! अपने बाप को ही बाप कहूंगा न! बाप बदलने की मेरे अंदर फितरत नहीं है। मैं मेरे माँ-बाप के अलावा किसी को नमन नहीं करता चाहे वो बड़े नेता हुए हो या मंदिरों में बैठे आपके देवता हो! मैं किसको आदर दूँ और किसको नहीं दूँ यह तय कानून कभी नहीं करता। क्या बाबा साहेब के बनाये संविधान में ऐसा कहीं उल्लेख किया हुआ है? कौनसी धारा की कौनसी उपधारा में लिखा है? अभिव्यक्ति की आजादी पर आस्था रूपी षड्यंत्र के माध्यम से रोक लगाने की कोशिश की तो कानूनों की हालत पाकिस्तान से ज्यादा बुरी होगी। अच्छा हुआ कि बाबा साहब ने ईशनिंदा जैसा कानून इनके हाथों में नहीं पड़ने दिया नहीं तो ये तथाकथित धर्म प्रेमी तालिबानी शासन कभी का लागु कर देते! कान खोलकर सुनलो नौटंकीबाजों हम तुम्हारे धर्म को नहीं मानते। यह देश बहुभाषी, बहुधर्मी, बहु-विचारधारा वाला देश है। कौन किसको माने या न माने यह निर्णय तुम नहीं करोगे। छितराये पानी में डुबोने की कोशिश करने वाले कीचड़ से लथपथ होकर ही उठते है विरोध व् आलोचना का अधिकार देश के हर नागरिक को है। यह देश किसी के बाप का नहीं है। खून पसीने से सींचा है हमने। हमने अभी 50%ही आजादी प्राप्त की है। पूरी आजादी लेने तक यह जंग जारी रहेगी। जो भी बीच में रोड़ा बनेगा उनको संवैधानिक प्रावधानों के तहत प्राप्त अधिकारों का उपयोग करते हुए हटाएंगे। बीमार परिजन को पाखंड के चंगुल से निकालकर मंदिर के बजाय अस्पताल लेकर जायेंगे। अशिक्षित बच्चों को अन्धविश्वास से खींचकर शिक्षा के द्वार पहुंचाएंगे। मेहनत के कमाये धन को पाखंड पर उड़ाने के बजाय गरीब भाई की मदद में खर्च करेंगे। बुद्धि का उपयोग धार्मिक उन्माद में बर्बाद करने के बजाय वंचितों-शोषितों को जागरूक करने में व्यय करेंगे। जादू-टोना,तंत्र-मन्त्रों में खोने के बजाए तर्क के तराजू पर झूलकर निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ावा देंगे। हम हर हाल में पाखंड से आजाद होकर रहेंगे! हम हर हाल में अन्धविश्वास की गुलामी से मुक्ति लेकर रहेंगे! हम हर हाल में पूंजीवाद का विरोध करेंगे। हम हर जगह-हर मंच पर लूटतंत्र के खिलाफ बोलेंगे।


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