कारगिल युद्ध मे अपने शौर्य ,पराक्रम व अदम्य साहस के बल पर कब्जाई भूमि को मुक्त कराकर देश के तिरंगे को शूरवीरता के फलक पर ऊंचा करने वाले 527शहीदों को नमन करता हूँ व युद्ध मे शामिल तमाम जवानों को सलाम करता हूँ।अपनी मातृभूमि के लिए प्राण न्यौछावर करना सर्वोच्च बलिदान होता है जिसके लिए देश की सरकार व हर नागरिक को गर्व होता है।
आज सुबह से सब एकदूसरे को जीत की बधाई दे रहे है।जगह-जगह जश्न मनाया जा रहा है।मैँ थोड़ा हटकर कुछ कहना चाहता हूँ।कारगिल युद्ध के बाद अब तक उससे तीनगुना से ज्यादा जवान शहीद हो चुके है।युद्ध जीतने के लिए मुझे भी गर्व होता है लेकिन रोज होती शहादतें,सरकारी बेरुखी व नागरिकों की शहीदों के परिवारों के प्रति उदासीनता को देखकर मुझे उन 527शहीदों की शहादत,527 वीरांगनाओं के चिराग उजड़ने,527माँ-बाप की गोद सुनी होने पर,1054बच्चों के सिर से बाप का साया उठने का मुझे बेहद अपसोस है! 2014में सत्ता पलटी तो उम्मीदें बंधी थी लेकिन अब वो उम्मीदें भी धराशायी हो चुकी है।सिर्फ धर्म,नफरत,द्वेष के अलावा इस नई सत्ता से देश के नागरिकों को/जवानों को कुछ भी हासिल नहीं हुआ है।शहीद हुए हमारे जवान लड़कों व ठोकर खाते उनके परिवारों के बारे में अपने दिल पर हाथ रखकर सोचिए और उस दर्द को महसूस करिये! किसी ने अपना भाई खोया है,किसी के घर का चिराग उजड़ा है,किसी की मांग सुनी हो गई,किसी के सिर से बाप का साया उठ गया।उनके ऊपर क्या बीतती होगी,तुम क्या जानो नकली देशभक्तों?किसी का बेटा यह कहकर कश्मीर गया था कि बापू अगली बार छुट्टी आऊंगा तो आपके आँख का ऑपरेशन करवाऊंगा व् एक जोड़ी नई धोती लाकर दूंगा। किसी का भाई यह वादा करके गया हुआ था कि इस बार राखी पर नहीं आ पाउँगा लेकिन अगले रक्षाबंधन पर राखी जरूर बंधवाऊंगा।किसी का पत्ति झुग्गी की अँधेरी रात में फुसफुसाकर गया था कि अगली बार आऊंगा तो शादी की सालगिरह पर घूमने चलेंगे,किसी का बाप चूमते हुए बच्चों को कहकर गया था कि अगली बार आऊंगा तो तुम्हे नई साइकिल दिलवाऊंगा!जब उन सब अरमानों के मुखौटे को तिरंगे में लपेटकर उनकी चौखट पर सत्ता की नाकामी ने भेजा है तो क्या उम्मीद करोगे?
एक जवान ही शहीद नहीं होता जनाब!पुरे कुनबे के अरमानों की हत्या होती है,उससे जुड़े हर रिश्ते का क़त्ल होता है,जिनके अपने अभी भी सीमा पर लड़ रहे है उनके दिलों में ख़ौफ़ पसर जाता है,हर फोन की घंटी परमाणु बम के धमाके से कम नहीं लगती,घर की तरफ आने वाला हर नया इंसान यमदूत का रूप नजर आने लगता है,घर की तरफ आने वाली हर गाडी की आवाज दहशत पैदा कर जाती है।जिंदगी भर बाप की सुनी धुंधलाती आँखे निहायत ही राह ताकती रहती है,घर में पैदा होती हर बारीक ध्वनि माँ को बेटे के आने की आहट याद दिलाकर तड़पा-तड़पाकर मारती है।अँधेरी रातोँ में हवा की सनसनाहट उसकी विधवा पत्नी की उम्मीदों-सपनो को जगा-जगाकर मारती है।उनके बच्चों को जिंदगी भर बाप का नाम पूछ-पूछकर अनाथ होने का अहसास दिलाते रहेंगे।हर फौजी वर्दी में जाते जवान को देखकर अपने बाप का अक्ष ढूंढता रहेगा वो बच्चा!जब भी राखी का दिन आएगा बहन की आँखों में ख़ुशी के बजाय अश्रुधारा बहेगी।त्यौहारों के दिन इनके घरों में खुशियों मनाने के बजाय लोग एक दूसरे के गले में लिपट-लिपटकर रोयेंगे!हर त्यौहार-उत्सव जिंदगी भर इनके घर में मातम लेकर आएगा।तुम्हे क्या मतलब इन दुखों के सागर से भरे इनके जीवन से!तुम्हे सत्ता सुख चाहिए न!तुम्हे लूटने का मौका चाहिए न!तुम्हे अपने झूठे धर्म के पाखंड का झंडा चाहिए न!तुम्हे अपने नेताओं की झूठी प्रशंसा चाहिए न!इस दुःख वाले समुद्र में खुद को रखकर सोचना!
अमेरिका में जब हमला हुआ तो वो 20 मिनट चला था!यहाँ क्रिकेट मैच की तरह मुठभेड़ें चलती है।सिपाहियों को बिना लवाजमे के आतंकीयों की गोलियां के सामने खड़ा कर देते हो!जहाँ आतंकी हमला होता है वहां सीधे हवाई हमला क्यों नहीं करते?बड़े -बड़े हथियार क्या नेताओं की कब्रों पर सजाने के लिए बनाये है?गुस्सा आता है जनाब।जब अपनों की मौत होती है तो!गुस्सा आता है जब ताकत होते हुए भी इन नेताओं के दिमाग को लकवा मार जाता है!इस गुस्से को समझो और झेलने का माद्दा रखो।वतन से मोहब्बत करने वाले लोगों के दिलों में आग लगती है जब देश का नागरिक या जवान मरता है और नेता रटी-रटाई कड़ी निंदा का ठेला सजाकर बैठ जाते है....रोज शहीद होते जवानों पर सवाल करते है तो बड़ी बेशर्मी के साथ कह दिया जाता है कि कांग्रेस के राज में नहीं होते थे क्या?तब गुस्सा आता है जनाब!हमारे गुस्से पर ऊँगली उठाने से पहले अपने बाप की आँखों में देखो,माँ के आँचल को देखो,पत्नी के चहरे को देखो,बच्चों के सपनों की मुस्कान को देखो और दो मिनट आँखे बंद करके सोचो कि मैं अब इस दुनियां में नहीं हूँ!दो मिनट में ही औकात पता चल जायेगी।
अमेरिका में जब हमला हुआ तो वो 20 मिनट चला था!यहाँ क्रिकेट मैच की तरह मुठभेड़ें चलती है।सिपाहियों को बिना लवाजमे के आतंकीयों की गोलियां के सामने खड़ा कर देते हो!जहाँ आतंकी हमला होता है वहां सीधे हवाई हमला क्यों नहीं करते?बड़े -बड़े हथियार क्या नेताओं की कब्रों पर सजाने के लिए बनाये है?गुस्सा आता है जनाब।जब अपनों की मौत होती है तो!गुस्सा आता है जब ताकत होते हुए भी इन नेताओं के दिमाग को लकवा मार जाता है!इस गुस्से को समझो और झेलने का माद्दा रखो।वतन से मोहब्बत करने वाले लोगों के दिलों में आग लगती है जब देश का नागरिक या जवान मरता है और नेता रटी-रटाई कड़ी निंदा का ठेला सजाकर बैठ जाते है....रोज शहीद होते जवानों पर सवाल करते है तो बड़ी बेशर्मी के साथ कह दिया जाता है कि कांग्रेस के राज में नहीं होते थे क्या?तब गुस्सा आता है जनाब!हमारे गुस्से पर ऊँगली उठाने से पहले अपने बाप की आँखों में देखो,माँ के आँचल को देखो,पत्नी के चहरे को देखो,बच्चों के सपनों की मुस्कान को देखो और दो मिनट आँखे बंद करके सोचो कि मैं अब इस दुनियां में नहीं हूँ!दो मिनट में ही औकात पता चल जायेगी।
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