हकीकत का फसाना!

आपने कभी जापानी संसद में चाइनीज बोलते हुए सुना है?कभी आपने चाइनीज संसद में जापानी बोलते हुए सुना है?जर्मन संसद में इंग्लिश या फ्रांस की संसद में स्पेनिश बोलते हुए सुना है?

भारत की संसद में इंग्लिश बोलते हुए रोज सुनते है!इसे क्या कहा जाए?आज महान सांस्कृतिक विरासत की रक्षक पार्टी की प्रचंड बहुमत की सरकार है,क्या यह आदेश पारित नहीं कर सकती कि भारतीय संघ के सारे राज्यों में भारतीय भाषा मे ही कार्यवाही हो?

भारत भाषाई विविधता वाला संघ है व ज्यादातर आबादी मात्र साक्षर है जो अपनी भाषा के अलावा कोई दूसरा भाषा न पढ़ सकते है,न लिख सकते है और न वार्तालाप कर सकते है!ऐसे में सरकारों व अदालतों की कार्यवाही अंग्रेजी में क्यों?क्या गुलामी की मानसिकता को ढोना ही हमारी आदत व प्राइड सिंबल बन गया है?

आज देश मे अंग्रेजी बोलने-लिखने वाला इंडिया स्थानीय भाषा बोलने वाले भारत पर धौंस जमा रहा है,जलील कर रहा है,भाषाई बेरियर बनाकर देश को लूट रहा है।

सबसे बड़ी बात तो यह है कि अंग्रेजी के पत्रकारों की एक बड़ी लॉबी है जो सोशल मीडिया पर भी हावी रहती है और देश की कमजोरी की हर खबर खुलकर लिखती है व विश्वभर में भारत की कमजोरी का प्रदर्शन करती है।

अंग्रेजी के अखबारों,टीवी चैनल्स व वेबसाइट पर सोशल जस्टिस के मुद्दों से लेकर रक्षा मामलों तक पर बड़े-बड़े लेख छापे जा रहे है और पूरी दुनियाँ पढ़ रही है।

अंग्रेजी हायर एजुकेशन के लिए ठीक है व हमे सीखनी चाहिए क्योंकि यह अंतराष्ट्रीय भाषा है और हमारा सम्प्रेषण इसमें होना जरूरी है मगर भारत के गरीब लोगों से सरकार-अदालत को दूर रखने का बेरियर है इसलिए सरकारी कार्यवाही,अदालत से इनको हटा देनी चाहिए।

अंग्रेजी मीडिया सिर्फ अंतराष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर ही दिखाए!भारत के अंदर क्या हो रहा है वो भारतीय भाषाओं में प्रसारित होना चाहिए।

अब अंग्रेजी की गुलामी का रोग सोशल मीडिया ग्रुपों में भी ऐसे फैला है कि अंग्रेजी जानने वाले लोग सिर्फ अपनी धौंस जमाने के लिए अंग्रेजी में लिखते है।भाषा किसी को न उच्च बनाती है और न नीचा।भाषा संवाद का जरिया मात्र है मगर हमारी सैंकड़ों सालों की गुलाम मानसिकता इसमें भी प्राइड सिंबल खोजती है।

अगर अपनी भाषा से प्यार नहीं करोगे तो संस्कृति/परंपरा बचाने की हर लड़ाई दिखावा मात्र होगी।हर देश अपनी भाषाओं को महत्व देता है व सारी कार्यवाही अपनी भाषाओं में करता है मगर भूखों/नंगों के इस देश मे जाहिल लोग अंग्रेजी में अपना भविष्य देख रहे है!


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