चिली से शाहीन बाग तक....

समुद्र तट पर बसे हुए सबसे अमीर दक्षिण अमेरिकी देश चिली की सरकार ने मेट्रो का किराया 4%बढ़ा दिया जिसे छात्रों ने अस्वीकार कर दिया।बेरिकेड लांघकर मेट्रो में घुसने लगे जिससे पुलिस के साथ झड़पें हुई।गुस्से में छात्र सड़कों पर उतर गए!

चिली के राष्ट्रपति सेबेस्टिन पिन्येरा ने इमरजेंसी लगा दी।आम जनता छात्रों के समर्थन में उतर गई और बात मेट्रो के किराए से आगे बढ़ गई और पूरा देश कुलीन वर्ग के भ्रष्टाचार व गैर-बराबरी के विरोध में सड़कों पर आ गया।राष्ट्रपति ने पूरी कैबिनेट बर्खास्त कर दी व देश से इमरजेंसी लगाने के लिए माफी मांगी।फिलहाल पद पर बने हुए है मगर जनता का भरोसा खो बैठे है!

फ्रांस में पेंशन नीति में बदलाव का बिल सरकार लेकर आई है जिसमे निजी व सरकारी कर्मचारियों के लिए एक ही तरह की पेंशन योजना प्रस्तावित है जिससे मिलती जुलती पेंशन स्कीम भारत सरकार 2004 में लागू कर चुकी है।फ्रांस की ट्रेड यूनियन के नेतृत्व में लाखों लोग सड़कों पर उतरे है।फ्रांस में एक अच्छी आपसी समझ है कि एक यूनियन हड़ताल करती है तो बाकी यूनियन तुरंत समर्थन कर देती है जिससे पूरा देश ठप्प हो जाता है और सरकार को झुकना पड़ता है।

फ्रांस से आजादी के बाद अल्जीरिया में सरकार पर एक वर्ग विशेष कब्जा रहा है।अल्जीरिया के राष्ट्रपति अब्देलअजीज बोटलिक ने जब पांचवी बार राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की घोषणा की तो आर्थिक गैर-बराबरी,रोजगार की कमी व वर्ग विशेष के भ्रष्टाचार से त्रस्त जनता का धैर्य जवाब दे गया और सड़कों पर उतर गई!

अक्टूबर 2019 के चुनावों में धांधली को लेकर बोलिविया के लोग सड़कों में उतर गए।बात चुनाव धांधली को लेकर शुरू हुई और आर्थिक,विषमता, आर्थिक मंदी,रोजगार,महंगाई आदि तक फैलती गई और हालात इतने बदतर हो गए कि राष्ट्रपति इवो मोरालेस को इस्तीफा देकर पड़ौसी देश मेक्सिको में शरण लेनी पड़ी।

सूडान में एक रोटी की कीमत 1सूडानी पौंड से बढ़ाकर 3 सूडानी पौंड करने के सरकारी फैसले से सूडान के छात्र सड़कों पर उतरे जिसमे एक छात्र की मौत के बाद सूडान की जनता सड़कों पर उतर गई।बात रोटी की कीमत से शुरू हुई और फिर महंगाई-रोजगार की तरफ फैलती गई और अंत मे राष्ट्रपति उमर अल बशीर को इस्तीफा देना पड़ा।

पूरा हांगकांग महीनों से एक कानून को लेकर ठप्प है।इराक,लेबनान में भी ऐसे ही नजारे देखने को मिले है।पाकिस्तान के कई सूबों से आटे की कीमत में तीन गुना तक वृद्धि की खबरे आ रही है!नॉन बनाने वाले बेकर हड़ताल पर चले गए है।सरकार से मांग है कि 150ग्राम आटे के नॉन की कीमत 15 रुपये की जाएं।महंगाई,बेकारी, भ्रष्टाचार से त्रस्त पूरा पाकिस्तान है।कभी भी एक चिंगारी भड़क सकती है और इमरान खान की सरकार डांवाडोल हो सकती है।

भारत की मोदी सरकार ने आर्थिक गैर-बराबरी,बेरोजगारी,भ्रष्टाचार से मुक्ति के लिए भारत की जनता को सब्जबाग 2014 में दिखाए थे।हर साल 2करोड़ रोजगार,ईंधन की कीमतों में भारी कमी,किसानों की आय दुगुनी सहित तमाम दावे किए गए थे!

100स्मार्ट सिटी,मेक इन इंडिया,सांसद आदर्श गांव योजना सहित 164 योजनाओं की घोषणा कर डाली मगर सरकारी आंकड़े बता रहे है कि किसी भी योजना में 15- 20%से ज्यादा काम नहीं हुए है।

भुखमरी से लेकर डेमोक्रेसी इंडेक्स तक मे भारत लगातार पिछड़ता गया।किसान आत्महत्या के आंकड़ों को बेरोजगार आत्महत्या के आंकड़े कड़ी चुनौती दे रहे है!खाद्य महंगाई दर लगातार बढ़ रही है।तेल की कीमतें बढ़ रही है,लाखों लोग नौकरियां गंवा चुके है,उद्योग-धंधे ठप्प हो रहे है!

आज CAA व NRC को लेकर एक तिहाई देश सड़कों पर है मगर देश का गृहमंत्री गुंडई अंदाज में कहता है कि जो करना हो कर लो मगर हम एक इंच भी पीछे नहीं हटेंगे!इनको इतना हौंसला मिलता है ईवीएम मशीन से,एकछत्र भ्रष्टाचार से,बेईमान चुनाव आयोग से,बिकाऊ मीडिया से,भ्रष्ट व लालची न्यायपालिका से!मगर जनता है जनता का क्या?

अब लग रहा है कि भारत मे भी बात CAA से आगे बढ़ चुकी है।भारत की जनता को सत्ता पर भरोसा नहीं रहा है!अब सारे मुद्दे जनता की जुबान पर आ चुके है।तमाम विरोध-प्रदर्शनों में उठती आवाजों को सुनिए!बेरोजगारी से आजादी,महंगाई से आजादी,गैर-बराबरी से आजादी,मनुवाद से आजादी,संघवाद से आजादी से लेकर मोदी-शाह से आजादी तक के नारे गूंजे रहे है!

जैसे-जैसे आंदोलन आगे बढ़ता जायेगा वैसे-वैसे तमाम मुद्दे व वर्ग इस आंदोलन से जुड़ते जाएंगे।तमाम आंदोलनों में एक बात विशेष तौर से देखी गई है वो यह है कि सत्ता व मीडिया से जनता ने पहले भरोसा खोया और सोशल मीडिया ने एकजुट किया है।दूसरा पहलू यह रहा कि छात्रों/युवाओं से शुरुआत हुई व जनता पीछे खड़ी हो गई।विपक्ष नेतृत्व के बजाय समर्थन की भूमिका में है।






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