बेबाकी का दूसरा नाम सतपाल मलिक!

मान्यवर सतपाल मलिक जी का जन्म 24जुलाई 1946 को बागपत जिले की खेकड़ा तहसील के हिसावदा गांव के साधारण किसान बुधसिंह के घर हुआ।डेढ़ साल की उम्र में इनके पिताजी का देहांत हो गया और माँ जगबिरी देवी ने इनका पालन पोषण किया।

श्री सतपाल मलिक जी कई बार जिक्र करते है कि उस समय खेती में गेहूं के बीजों में जो ब्रेक थ्रू हुआ था उसी का नतीजा रहा है कि मैं मेरठ कॉलेज पहुंच पाया।मेरठ कॉलेज से बीएससी व एलएलबी की शिक्षा अर्जित की व डॉ लोहिया के समाजवादी छात्र संगठन से दो बार छात्रसंघ अध्यक्ष भी रहे।

1974 में चौधरी चरणसिंह के भारतीय क्रांति दल से बागपत से विधानसभा चुनाव लड़ा और विजयी हुए।विधायक के रूप में खेती के विजन व चिंतन के रूप में अपनी विद्वता का परिचय दिया।

1980 व 1986 में दो बार उत्तरप्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने गए मगर दूसरे कार्यकाल में सरकार पर लगे बोफोर्स घोटाले के कारण राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया।ज्ञात रहे 1984 में कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे।

1989 में जनता दल के टिकट पर अलीगढ़ से सांसद चुने गए।1996 मे अलीगढ़ से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा मगर चौथे स्थान पर रहे!2004में भाजपा में शामिल हो गए।उन्हें किसान मोर्चा प्रभारी बनाया गया व बाद में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी।

उसके बाद बिहार,उड़ीसा व जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल बनाया गया व अब गोआ के राज्यपाल है।जीवन वृत बताने का इतना ही मकसद है कि कठोर संघर्ष व अपने विजन और चिंतन के बल पर इंसान कैसी ही परिस्थितियां आये मगर उनके लिए रास्ते कभी बंद नहीं होते।

जिंदगी किसी भी पद पर रहे हो मगर ईमानदारी ऐसी की कोई उनके जीवन पर अंगुली नहीं उठा सकता।इंसान की ईमानदारी और अपने समाज से जुड़ाव,ये दो ऐसी ताकत होती है कि बेबाकी से बोलने की हिम्मत स्वतः ही पैदा हो जाती है!

जिस भी मंच पर गए हो इन्होंने सदैव गांव,गरीब,किसान,मजदूर व युवा की बात जरूर की है।शिक्षा व युवा को मलिक साहब देश का भविष्य कहते है।

वित्त मंत्री रहते प्रणव मुखर्जी ने कॉमनवेल्थ खेलों के लिए बजट आवंटन किया तो श्री सतपाल मलिक साहब ने कहा था कि देशभर के किसानों के लिए 11करोड़ रुपये सिंचाई के लिए व अकेले कलमाडी के लिए 17हजार करोड़ रुपये!शीला दीक्षित के लिए अलग से हजारों करोड़ रुपये!ढेला ही नहीं मिलने वाला तुम्हे इन खेलों से!किसानों के लड़के व आदिवासियों की लड़कियां कहीं भी खेल होंगे तो मैडल ले आएंगे!बाकी के हिस्से कुछ नहीं आना!

सतपाल मलिक साहब का मोबाइल 24घंटे चालू रहता है।व्हाट्सएप तक पर भेजी शिकायत का निवारण करते है।कश्मीर में जब राज्यपाल थे तो एक 10वीं में पढ़ने वाले बच्चे ने व्हाट्सएप पर मैसेज किया कि डेढ़ महीने बाद मेरे व मेरी बहन के एग्जाम है और घर मे लाइट नहीं है।मलिक साहब ने अगली सुबह एक जनरेटर व 6बल्ब घर भिजवा दिए व 15दिन में डेढ़ किलोमीटर लंबी बिजली की लाइन बिछवा दी।

मलिक साहब जहां कहीं भी बोलते है तो ऐसा लगता है कि घर का बुजुर्ग हमे सलाह दे रहा है व खुद को तोप समझने वाले बड़े-बड़ों को आइना दिखा देते है।सतपाल मलिक साहब सदा कहते है कि देश पुलों-सड़कों-ऊंची इमारतों से नहीं बनता बल्कि देश शिक्षित युवाओं से बनता है!देश किसानों से बनता है,देश जवानों से बनता है,देश मजदूरों से बनता है!

गोआ में फ़िल्म फेस्टिवल चल रहा है और मलिक साहब को आमंत्रित किया गया।क्या कहा उसको ध्यान से सुनिए!यह जीवनभर के लंबे संघर्ष व दोगलेपन की व्यवस्था के कारण पैदा हुआ दर्द है जो हर मंच पर बोलते है।किसी को बुरा लगे या अच्छा मगर बेबाकी से व डंके की चोट पर कहते है।


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