नारी अस्मिता के दोगले रक्षक !

ये जो जिंदा जला दो,सरेआम फांसी दे दो आदि के रूप में जस्टिस फ़ॉर फलाना,जस्टिस फ़ॉर ढिमकाना हैश टैग चला रहे है,पता नहीं ये कौनसे समाज के लोग है जो घटना विशेष पर एकदम इंसाफ के दौरे पड़ने लग जाते है!

ये झूठी नैतिकता,झूठा ढोंग,दोहरा चरित्र इस देश की हजारों सालों से सभ्यता रही है!आप क्या सोच रहे हो कि सीता के लिए लंका विजय की गई थी!अगर ऐसा होता तो सीता की अग्नि परीक्षा नहीं होती!गर्भवती सीता को जंगलों को न भेज दिया जाता!गलत सोचते हो कि द्रोपदी के चीरहरण को लेकर महाभारत का युद्ध हुआ था!यह राज्य को लेकर लड़ाई थी और इसमें एक औरत को जुए में दांव पर यूँ ही लगा दिया गया था!

इस देश के शास्त्र,पुराण,साहित्य भरे पड़े है जो यह सिखाते है कि स्त्री पुरुष नियंत्रित धन है।ऋग्वेद की गार्गी से लेकर तुलसी के रामचरितमानस मानस की नारी तक के हालत देख लीजिए!जिस समाज के लोग मनुस्मृति को आदर्श मानते हो उस समाज मे कैसी नैतिकता?बलात्कार पर कैसा बवाल?मत्स्यगंधा से लेकर अहिल्या,कुंवारी कुंती से लेकर शादीसुदा पार्वती के मेल तक से इस देश मे ऋषि-मुनि,देवता पैदा होते रहे है!

नित्यानंद,चिन्मयानंद, गुरमीत आशारामों की शिक्षा का स्रोत क्या है?ये कौनसे शास्त्र,धार्मिक ग्रंथ पढ़ रहे थे!4हजार साल पहले भी गार्गी सवाल जवाब करने पर लताड़ी जाती रही थी और आज भी देर शाम घर से बाहर निकाले जाने पर लताड़ी जाती है!जब दिल्ली में निर्भया कांड हुआ था तब लोगों की सोच में यह था कि देर रात दोस्त के साथ सिनेमा देखने गई ही क्यों थी मगर वो शाम होते ही इंडिया गेट पर कैंडल पकड़े नजर आ जाते थे!

यहां बलात्कार भी जाति देखकर होते है,यहां निंदा भी जाति धर्म देखकर होती है,यहां इंसाफ भी जाति धर्म देखकर ही होता है!निर्भया कांड में हम लोग सरकार से इंसाफ मांग रहे थे और प्रियंका कांड में हम लोग धर्मविशेष का एंगल खोज रहे है।

इस देश मे रोज 132 बलात्कार होते है!मगर कहीं कोई हलचल नहीं मगर किसी अपराध विशेष को लेकर जब घटना हाईलाइट होती है तब दुःख होता है कि क्या बाकी पीड़िताएं इस देश की नहीं है,उनको जीने का हक नहीं है,उन्होंने जातिविशेष या धर्मविशेष में पैदा होकर कोई गुनाह तो नहीं कर दिया!

याद रखिये स्त्री को धन व उपभोग की वस्तु समझने का ज्ञान हमारी अति प्राचीन महान संस्कृति व इनके शास्त्र/साहित्य देते है!अगर फूंकने ही है तो गंदी सोच पैदा करती ये धार्मिक किताबें फूंको,ऊंचे-ऊंचे मंचो पर बैठकर जो शास्त्रों का हवाला देकर स्त्री को पुरुष की प्रॉपर्टी बताते है इन धर्मखोरों को फूंको!

अपनी बहन-बहन व दूसरे की बहन माशूका समझने की सोच घर-परिवार से पैदा होती है।ये हुर्र/परियों का लालच  देकर इंसानी मानसिकता को विकृत करने वाले धंधे पर लगाम लगाओ!

समाज को रेडिकल सर्जरी की जरूरत है जो इन हैशटैग व जस्टिस-फ़सटिस वाले मूर्खता पूर्ण हंगामे से संभव नहीं है।एक तरफ तुम ऐतिहासिक कुकर्मों को महान बताकर विश्वगरु बनने की हुंकार भर रहे हो तो दूसरी तरफ नारी समानता,नारी स्वतंत्रता,नारी सम्मान की बचकानी बातें करते हो!तुम्हारे ऋषि मुनि रामराज्य में महिलाएं खरीदते थे और तुम राम राज्य स्थापित करने जा रहे हो!

आज ऋषि-मुनि का स्वरूप बदलकर पूंजीपति बन गए है और महिलाओं की बोली लगा रहे है!धर्मगुरुओं से लेकर राजनेताओं तक के वीडियो सामने आ रहे है!जैसा समाज होगा वैसा ही नेतृत्व होगा और उसी अनुरूप कर्म कांड फलक पर आते रहेंगे!

1 टिप्पणी:

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