कंपनियों का डूबना!

किसी कंपनी के डूबने का मतलब यह कतई नहीं है कि 5-7 लुटेरों का व्यापार डूब गया है!जो देश का सूचना तंत्र है वो आपको भ्रमित कर रहा है।यस बैंक के दिवालिये होने की जो खबरे बताई जा रही है वो एक सफेद झूठ है।

आपको बताया गया कि किंगफ़िशर कंपनी डूब गई और विजय माल्या का दिवाला निकल गया मगर वो हकीकत नहीं थी।असल मे देश के मेहनतकशों का द्वारा निर्मित पूंजी बैंकों ने विजय माल्या को उपलब्ध करवाई!कारण यह बताया गया कि इस कर्ज पर माल्या ब्याज देगा और यह पैसा देश के विकास में अर्थात जनता के भले के लिए खर्च किया जाएगा!खराब मैनेजमेंट व खुद के ऐशो आराम/विलासिता पर पानी की तरह पैसा खर्च किया और बैंकों को बता दिया कि पूंजी डूब गई है!

बैंकों ने इसको एनपीए घोषित कर दिया।इस पूरी प्रक्रिया नजदीक से देखोगे तो आपको अहसास हो जायेगा कि भ्रष्ट बैंक अधिकारियों ने मोटा माल कमाया,प्रोमोटर/ट्रस्टी/ऑडिटर/रेगुलेटर सब फाइव स्टार बंगलों,महंगी गाड़ियों,दुनियाँ के सैर-सपाटों का लुत्फ उठाते रहे और कंपनी के तथाकथित डूबने के बाद भी ये सब मौज में है!

विनिवेश,एनपीए, राइट ऑफ आदि ऐसी घुमावदार बातें है जिसके माध्यम से इन डकैतियों पर पर्दा डाला जाता है!कुज्ञानी उद्योगपति व बकैत बुद्धिजीवी हर दम देश को भय परोसते है कि ऐसे लोगों को कानून के कठघरे में खड़ा करोगे तो उद्योग जगत में भय का माहौल पैदा हो जायेगा,पूंजीपति धंधा करने से डरेंगे व अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी!यानि देश का विकास खतरे में आ जायेगा!सत्ताधारी नेताओं के बहीखातों में पर्दे के पीछे से कुछ ऐड हो जाता है इसलिए फिर से जनता की आंखों में धूल झोंकने के लिए नये शब्द गढ़ने में लग जाते है!

जनता का पैसा चंद लुटेरों के हवाले करने की परिक्रिया को ही निजीकरण कहा जाता है!जनता के खून-पसीने से खड़े किए गए सार्वजनिक उपक्रमों को अपने चहेते लुटेरों  के हाथों में सौंपने की प्रक्रिया को ही विनिवेश कहा जाता है!जनता की बैंकों में जमा पूंजी को लुटाने के समूह को कंपनी कहा जाता है!ये जितनी भी बड़ी-बड़ी कंपनियां है वो सब की सब बैंकों से कर्ज लेकर खड़ी की गई है और बैंकों में जमा पूंजी देश की जनता की है!

अगर आपको लग रहा है कि निजी पीएमसी बैंक या निजी यस बैंक डूबा है व इससे हमें क्या मतलब है तो सोच का दायरा बढ़ाने की जरूरत है!

डूबना क्या होता है वो ओलावृष्टि व बेमौसम बारिश में डूबे किसानों को पूछिये!विजय माल्या व नीरव मोदी सरीखे  5000से ज्यादा भगोड़े विदेशों में आलीशान बंगलों में ऐशो-आराम की जिंदगी काट रहे है!यस बैंक वाले राणा कपूर की दिन चर्या पर भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा!बाकी भक्तों के पापा की सरकार जब से आई है तब से इस डूब में लुटेरे मस्ती से डुबकियां लगाकर निकलते जा रहे है और भक्त गा रहे है "क्या लेके आया बंदा क्या लेके जाएगा"और पापा गा रहे है "चाय बेचकर आया भक्तों,देश बेचकर जाऊंगा!"

राम भी रूठा, राज भी रूठा
सीमा नहीं अपमान की!
टूटी डोर टूटा धागा
मंजिल रही न किसान की!
कैसी कीमत,कैसी राहत
सत्ता है बेईमान की!
हालत बहुत बुरी है भाई
धरती के भगवान की😢😢 

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