कश्मीरी पंडितों का विस्थापन!

व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी व फेसबुक ग्रुपों में कश्मीरी पंडितों की रूदाली कहानियों के लंबे-लंबे मैसेज चल रहे है और कश्मीरी पंडितों की समस्या को लेकर कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है!लाज़िम है कांग्रेस ने आक्रामक तरीके से इतिहास का सच सामने रखकर इन पर विराम लगाने की कोई कोशिश नहीं की जिसके कारण ऐसे संदेशों की स्वीकार्यता बढ़ती गई!

कश्मीर आंदोलन की शुरुआत 1989 में हुई थी और उस समय देश मे लोकसभा के चुनाव चल रहे थे!कश्मीरी नेताओं ने भी चुनावों के मद्देनजर नफरत का जहर घोलकर अपनी जीत सुनिश्चित करने का प्रयास किया था!कश्मीरी नेताओं को यह अहसास कतई नहीं था कि कश्मीरी पंडितों की धार्मिक लूट के कारण जनता में इतना आक्रोश जमा है कि उनके भड़काऊ भाषण घाटी को नासूर बना देंगे!

1989 के चुनावों में बीजेपी 85 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी और जनता दल के नेता वीपी बीजेपी के समर्थन से प्रधानमंत्री बने।कांग्रेस छोड़कर जनमोर्चा में शामिल हुए मुफ़्ती मोहम्मद सईद देश के पहले मुस्लिम गृहमंत्री बने!उस समय जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल बीजेपी नेता जगमोहन थे और जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन था।

राज्य व केंद्र में दोनों जगह एकतरह से बीजेपी की ही सरकार थी।जो कश्मीरी पंडितों के जुल्म की कहानियां आज सुनाई जा रही है वो 19जनवरी 1990 से शुरू होती है जब कश्मीरी पंडितों पहला जत्था जम्मू से होते हुए दिल्ली की तरफ कूच करता है!

यह भी याद रखा जाना चाहिए कि कश्मीरी पंडितों के तथाकथित इतने बड़े नरसंहार के बाद भी बीजेपी ने वीपी सिंह के खिलाफ कोई नाराजगी जाहिर नहीं की बल्कि इसको मुद्दा बनाकर पूरे देश मे दुष्प्रचार का कार्य शुरू किया!बीजेपी ने वीपी सिंह सरकार से समर्थन उस समय वापिस लिया जब वीपी सिंह ने मंडल आयोग की रिपोर्ट को लागू कर दिया!

बीजेपी के हाथ मे एक मुद्दा तो कश्मीरी पंडितों का आ ही चुका था और दूसरा मुद्दा खुद राजीव गांधी ने पहले ही रामलला का ताला खोलकर उपलब्ध करवा दिया था!

एक छोटा सा लॉजिक समझिए!कश्मीरी मुस्लिम पंडितों ने हिन्दू पंडितों को कहा कि तुम भाग जाओ और ये भागकर दिल्ली आ गए!बाकी संघर्ष होता तो हिन्दू पंडित भी हथियार उठा सकते थे!सेना को बम-बारूद सप्लाई करने का दावा करने वाला आरएसएस इनके साथ खड़ा हो सकता था!हिंदुत्व वाली पार्टी इनके ऊपर अत्याचार देखकर वीपी सिंह की सरकार गिरा सकती थी मगर ऐसा कुछ नहीं किया गया!

1990 के बाद कश्मीरी पंडितों के लिए हर सरकार ने पंच-वर्षीय योजनाओं के लिए पर्याप्त बजट उपलब्ध करवाया हो या न करवाया हो मगर कश्मीरी पंडितों के लिए हजारों करोड़ के राहत पैकेज जरूर उपलब्ध करवाए है और आज भारत मे जैन समुदाय के बाद दूसरा बड़ा समृद्ध समुदाय कश्मीरी पंडित है!राजनीति,मीडिया,बॉलीवुड से लेकर उद्योगों तक मे इनकी तूती बोलती है!

एक रोना-धोना डिपार्टमेंट दिल्ली में खोला हुआ है जो हर सरकार को ब्लैकमेल करते हुए पैकेज जुटाने का कार्य करता है!आज केंद्र में मजबूत व हिंदुत्व की रखवाली मोदी सरकार है इसलिए इनको दी जाने वाली सारी सहूलियतें खत्म करके वापिस घाटी में भेजने का कार्य करे!राष्ट्रीय आपदा बन चुके इन जख्मों का इलाज करें ताकि गरीबों,मजदूरों,आदिवासियों,किसानों आदि के असली जख्मों के पता चलने का मार्ग प्रशस्त हो!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

Popular Posts