धर्म बड़ा या विज्ञान?

आज दुनियाँ संकट में है।कोरोना के कहर से पूरी मानवता घुटनों पर है।दुनियाँ के सबसे बड़े धर्म यानी क्रिश्चियन की सबसे पवित्र कही जाने वाली वेटिकन सिटी पर ताला लटक गया है।सबसे बड़ा धर्मगुरु अर्थात पॉप कहीं छुप गया है।

दुनियाँ का दूसरा बड़ा धर्म है इस्लाम है।पवित्र कही जाने वाली भूमि अर्थात काबा भी लॉकडाउन हो गया है मुल्ला लोग कहीं नजर नहीं आ रहे है।तीसरा बड़ा धर्म है हिन्दू उसके भी चारो धाम और वैष्णों देवी से लेकर तिरुपति, उज्जैन से लेकर शिरडी तक लॉक-डाउन है।

इन चर्च,मस्जिद,मंदिरों को बंद करने के पीछे तर्क दिया गया कि जनहित में बंद किया जा रहा है।अगर जनता के हित मे बंद करना था तो इनको किसके हित मे खोला गया था?आज मानवता पर गंभीर संकट आया तो यीशु,अल्लाह,ईश्वर सब भाग खड़े हुए।खुले है तो सिर्फ अस्पताल और अस्पताल को धर्म ने नहीं विज्ञान ने बनाया है।

महान वैज्ञानिक रिचर्ड हॉकिन्स ने ईश्वर के अस्तित्व को कभी स्वीकार नहीं किया।उन्होंने ब्रह्मांड को लेकर ब्लैक होल सिद्धांत प्रतिपादित किया।उन्होंने ब्रह्मांड निर्माण की प्रक्रिया बताई।21वीं सदी के नास्तिकों की बात करें तो सबसे बड़ा नाम आता है किस्तोंपर हीचेन।हीचेन ने "God is not great" नाम से एक किताब लिखी।

"God is not great"नामक किताब में हीचेन ने सैंकड़ों उदाहरण देकर बताया कि मानवता पर जब भी बड़ी आपदा आई तब ये यीशु,अल्लाह,भगवान रोकने/बचाने में पूरी तरह नाकामयाब रहे।त्रासदी के बाद भी मानवता की सेवा में कहीं नजर नहीं आये।

उत्तराखंड में जब बाढ़ आई तो केदारनाथ खुद अपना मंदिर बचाने में असफल हो गए।गुजरात के भुज में जब भूकंप आया तो द्वारकाधीश कहीं नजर नहीं आये।

मानव जाति में जो खुद को यीशु,अल्लाह,ईश्वर का प्रतिनिधि समझते है और किसी बगैर काल्पनिक सहारे के  जी नहीं सकते उन्होंने 95%बुद्धिहीनों की जमात तैयार कर रखी है।जब भी मानवता पर गंभीर संकट आता है तो धर्मखोर प्रतिनिधि छुप जाते है और इनके द्वारा जाल में फंसाई बुद्धिहीनों की भीड़ किसी सहारे को प्राप्त करने के लिए इधर-उधर भागने लगती है।

दुनियाँ पर जब भी संकट आता है तब वैज्ञानिक सोच के 5%लोग इनका तारणहार बनते है।बाढ़, भूकंप,कोरोना आदि को प्रकृति पैदा करती है,यीशु,अल्लाह,गॉड इनका कुछ नहीं कर सकते है।इन पर नियंत्रण करने के लिए विज्ञान आगे आता है।आज अल्लाह,ईश्वर,गॉड कहीं नजर नहीं आ रहे है।मैदान में खड़ी नजर आती है तो सिर्फ और सिर्फ विज्ञान।

5%लोग विज्ञान की छड़ी लेकर मानवता को बचाने के प्रयास में लगे हुए है।सब धर्म स्थल ताला लगाकर भागने लगे तो विज्ञान द्वारा स्थापित अस्पताल ने आव्हान किया कि जब भी परेशानी महसूस करो तो आओ हमारी दर पर।कोरोना का विज्ञान अभी तक सहारा है समाधान नहीं मगर वैज्ञानिक सोच को पूर्ण रूप से आश्वस्त है कि इसका इलाज खोज लिया जायेगा।आस्तिकता बुद्धिहीनों द्वारा निर्मित काल्पनिकता में भटककर माथा फोड़ने में नहीं, बल्कि मानवता पर गंभीर संकट आये तो हकीकत के धरातल पर खड़े होकर समाधान खोजने के प्रति आश्वस्त होने में है।

आज दुनियाँ के वैज्ञानिक कोरोना की दवा खोजने में चौबीसों घंटे लगे हुए है और धर्मखोर पीछे छुपकर इस इंतजार में है कि जैसे ही इलाज खोजने की खबर मिल जाएं वैसे ही अपनी काल्पनिक कहानियां रचने की दुबारा शुरुआत करें!प्रकृति बुद्धिहीनों को आइना दिखाती है और धर्म की नींव हिला देती है।विज्ञान समाधान खोजती है और धर्मखोर फिर से हिली हुई नींव को जमाने के षड्यंत्र में लग जाते है!

प्रेमाराम सियाग

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